रविवार, 1 अप्रैल 2012

33. ‘राम-भक्त हनुमान’

‘राम-भक्त हनुमान’



'रोम-रोम' में राम पर, जिनको था अभिमान

हृदय राम-दरबार का, सबको मिला प्रमाण

उन्हीं राम के भक्त की, निष्ठा का कर ध्यान

लिखा नाम 'श्रीराम' का, छबि में थे हनुमान


राम-राम लिख चित्र पर, किया प्रयोग विचित्र

लोगों तक पहुंचा दिया, अनुपम राम चरित्र

परमेश्वर में आस्था, अंतर्मन विश्वास

लगन एक 'श्रीराम' में, जीवन हुआ सुवास

[  ईश्वर से तारतम्यता के सबके अपने-अपने तरीके हो सकते हैं | किसी अन्य के विचारों के अनुकरण का मार्ग कदाचित सहज जान पड़ता है क्योंकि अनुभव की कसौटी पर स्थापित होने का विश्वास उससे जुड़ा होता है |
अपने मन पर विश्वास, अपने निश्चय में द्ढ़ता, अपने स्वप्न साकार करने का संकल्प कुछ अनूठा मार्ग सुझा देता है जिस पर चलना ज्यादा रुचिकर व सहज लगने लगता है |
आस्था का ऐसा ही एक उदाहरण है रामभक्त हनुमान का यह अनुपम चित्र, जिसका अलंकरण 'राम-राम' की आवृति से किया गया है |
अब तक ऐसे सैंकड़ों चित्र बनाकर वितरित करना और भक्तिभाव प्रसारित करना भी  एक प्रकार की साधना है | ऐसी आस्था के प्रति आकृष्ट होना स्वाभाविक ही है और मन में उठी प्रतिक्रिया को शब्दों में व्यक्त करने का लोभ संवरण न कर पाना शायद कलम की मजबूरी ]

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